भारत में जनजातियाँ - Bharat Me Janjatiya

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भारत की प्रमुख जनजातियां, विस्तार, भोजन, रहन सहन, विवरण, आभूषण, रीति रिवाज टॉपिक आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- BankSSCRailwayRRBUPSC आदि में सहायक होगा। 
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भारत में जनजातियाँ - Bharat Me Janjatiya

जनजातियाँ वह मानव समुदाय हैं जो एक अलग निश्चित भू-भाग में निवास करती हैं और जिनकी एक अलग संस्कृति, अलग रीति-रिवाज, अलग भाषा होती है तथा ये केवल अपने ही समुदाय में विवाह करती हैं। 
सरल अर्थों में कहें तो जनजातियों का अपना एक वंशज, पूर्वज तथा सामान्य से देवी-देवता होते हैं। 
ये अमूमन प्रकृति पूजक होते हैं।

भारत में जनजातियाँ - Bharat Me Janjatiya

भारतीय संविधान में जहाँ इन्हें 'अनुसूचित जनजाति' कहा गया है तो दूसरी ओर, इन्हें अन्य कई नामों से भी जाना जाता है मसलन- आदिवासी, आदिम-जाति, वनवासी, प्रागैतिहासिक, असभ्य जाति, असाक्षर, निरक्षर तथा कबीलाई समूह इत्यादि। 
हालाँकि भारतीय जनजातियों का मूल स्रोत कभी देश के संपूर्ण भू-भाग पर फैली प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड तथा मंगोल जैसी प्रजातियों को माना जाता है। 
इनका एक अन्य स्रोत नेग्रिटो प्रजाति भी है जिसके वंशज अण्डमान- निकोबार द्वीप समूह में अभी भी मौजूद हैं।
गौरतलब है कि अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है और इसी के मूल में निश्चित रूप से भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित जनजातियाँ हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में रहते हुए अपनी संस्कृति के ज़रिये भारतीय संस्कृति को एक अनोखी पहचान देती हैं।
वर्तमान में भी भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तथा पूर्व से लेकर पश्चिम तक जनजातियों के साथ-साथ संस्कृति का विविधीकरण देखने को मिलता है। 
भारत भर में जनजातियों की स्थिति का जायजा उनके भौगोलिक वितरण को समझकर आसानी से लिया जा सकता है।

भारत में जनजातियों का भौगोलिक वितरण

भौगोलिक आधार पर भारत की जनजातियों को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है जैसे-उत्तर तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र और द्वीपीय क्षेत्र।

उत्तर तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के अंतर्गत हिमालय के तराई क्षेत्र, उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र सम्मिलित किये जाते हैं। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड तथा पूर्वोत्तर के सभी राज्य इस क्षेत्र में आते हैं। 
इन क्षेत्रों में बकरवाल, गुर्जर, थारू, बुक्सा, राजी, जौनसारी, शौका, भोटिया, गद्दी, किन्नौरी, गारो, ख़ासी, जयंतिया इत्यादि जनजातियाँ निवास करती हैं।
मध्य क्षेत्र में प्रायद्वीपीय भारत के पठारी तथा पहाड़ी क्षेत्र शामिल हैं। मध्य प्रदेश, दक्षिण राजस्थान, आंध्र प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि राज्य इस क्षेत्र में आते हैं जहाँ भील, गोंड, रेड्डी, संथाल, हो, मुंडा, कोरवा, उरांव, कोल, बंजारा, मीणा, कोली आदि जनजातियाँ रहती हैं।
दक्षिणी क्षेत्र के अंतर्गत कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल राज्य आते हैं जहाँ टोडा, कोरमा, गोंड, भील, कडार, इरुला आदि जनजातियाँ बसी हुई हैं।
द्वीपीय क्षेत्र में अमूमन अंडमान एवं निकोबार की जनजातियाँ आती हैं। 
मसलन- सेंटिनलीज, ओंग, जारवा, शोम्पेन इत्यादि। हालिया चर्चा का विषय रहने के कारण यह ज़रूरी हो जाता है कि हम एक सरसरी नज़र सेंटिनलीज जनजाति पर डाल लें।

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों की समस्याएँ

जनजातियाँ ऐसे इलाकों में निवास करती हैं जहाँ तक बुनियादी सुविधाओं की पहुँच न के बराबर है। 
लिहाज़ा ये बहुत सारी समस्याओं को झेल रही हैं।

अगर बात करें सामाजिक समस्याओं की तो ये आज भी सामाजिक संपर्क स्थापित करने में अपने-आप को सहज नहीं पाती हैं। 
इस कारण ये सामाजिक-सांस्कृतिक अलगाव, भूमि अलगाव, अस्पृश्यता की भावना महसूस करती हैं। 
इसी के साथ इनमें शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी सुविधाओं से वंचन की स्थिति भी मिलती है।
आज भी जनजातीय समुदायों का एक बहुत बड़ा वर्ग निरक्षर है जिससे ये आम बोलचाल की भाषा को समझ नहीं पाती हैं। 

जनजातीय जनसंख्या का वितरण 

उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी प्रदेश

इसमें हिमालय के तराई क्षेत्र, उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र सम्मिलित किये जाते हैं। 
देश की लगभग 80 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या इसी क्षेत्र में निवास करती है। 
मध्य प्रदेश, दक्षिण राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, उड़ीसा आदि राज्य इसी क्षेत्र में आते हैं।

मध्यवर्ती क्षेत्र 

इसके अन्तर्गत प्रायद्वीपीय भारत के पठारी तथा पहाड़ी क्षेत्र सम्मिलित किये जाते है। 
देश की लगभग 80 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या इसी क्षेत्र में निवास करती है। 
मध्य प्रदेश, दक्षिण राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, उड़ीसा आदि राज्य इसी क्षेत्र में आते हैं।

दक्षिणी क्षेत्र 

इसके अन्तर्गत आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु का जनजातीय क्षेत्र शामिल हैं। 
यह भारतीय जनजातियों के सबसे प्राचीन स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है।
इन तीन प्रमुख क्षेत्रों के अतिरिक्त अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में भी एकांकी रूप से कुछ विशिष्ट जनजातियाँ जैसे ओंग, ओंग, जारबा, उत्तर सेण्टिनली, अण्डमानी, निकोबारी आदि भी पायी जाती है।

देश में रहने वाले जनजातीय समुदाय के लोग नीग्रिटो, ऑस्ट्रेलॉयड और मंगोलॉयड प्रजातियों से सम्बद्ध है। देश की प्रमुख जनजातियां निम्नलिखित हैं-
भारत में जनजातियाँ - Bharat Me Janjatiya

भारत में पाई जाने वाली जनजातियों की राज्यवार सूची

आंध्र प्रदेश

चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक। 

असम व नागालैंड

बोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नागा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी। 

झारखण्ड

संथाल, असुर, बैगा, बंजारा, बिरहोर, गोंड, हो, खरिया, खोंड, मुंडा, कोरवा, भूमिज, मल पहाड़िया, सोरिया पहाड़िया, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील। 

महाराष्ट्र

भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी 

पश्चिम बंगाल

होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा। 

हिमाचल प्रदेश

गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल। 

मणिपुर 

कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा। 

मेघालय

खासी, जयन्तिया, गारो। 

त्रिपुरा

लुशाई, माग, हलम, खशिया, भूटिया, मुंडा, संथाल, भील, जमनिया, रियांग, उचाई। 

कश्मीर 

गुर्जर। 

गुजरात 

कथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोड़िया बदाली, पटेलिया।

उत्तर प्रदेश

बुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी।

उत्तरांचल

भोटिया, जौनसारी, राजी।

केरल

कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान, कुरुमान, पनियां, पुलायन मल्लार, कुरुम्बा।

छत्तीसगढ़

कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर।

तमिलनाडु

टोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर, मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला।

कर्नाटक

गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा।

उड़ीसा

बैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सआरा, मुन्डुप्पतू।

पंजाब

गद्दी, स्वागंला, भोट।
राजस्थान मीणा, भील, गरासिया, सहरिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली।

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह मुख्य पृष्ठ

औंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपान।

अरुणाचल प्रदेश

अबोर, अक्का, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा, काम्पती, खोभा, मिश्मी, सिगंपो, सिरडुकपेन।

भारत में पाई जाने वाली जनजातियों का विस्तारपूर्वक अध्ययन

भील जनजाति

भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। यह जाति राजस्थान राज्य की मुख्य जातियों में से एक है। इस जाति के लगभग 39 प्रतिशत लोग, जो राजस्थान में बनस्वारा गाँव में बसते हैं, वे सभी भील जाति के हैं। 
यह भारत की तीसरी बड़ी आदिवासी जाति है। आर्थिक रूप से इस जाति के लोग स्थायी रूप से कृषक, सामाजिक दृष्टि से पितृ-सत्तात्मक जनजाति एवं परम्परागत रूप से एक अच्छे तीरंदाज होते हैं। 
वर्तमान समय में यह जनजाति विकास के विभन्न चरणों में मानी जाती है। 

सेंटिनलीज जनजाति

यह जनजाति एक प्रतिबंधित उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर रहने वाली एक नेग्रिटो जनजाति है। 
2011 के जनगणना आँकड़ों के अनुसार द्वीप पर इनकी संख्या 15 के आस-पास थी।
जहाँ एक तरफ अंडमान द्वीप में चार नेग्रिटो जनजातियों- ग्रेट अंडमानी, ओंगे/ओंज, जारवा तथा सेंटिनलीज का निवास है तो वहीं दूसरी तरफ निकोबार में दो मंगोलॉइड जनजातियाँ मसलन- निकोबारी और शोम्पेन का निवास है।
सेंटिनलीज के साथ ही अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की अन्य जनजातियाँ- ग्रेट अंडमानी, ओंगे, जारवा तथा शोम्पेन भारत की विशेष रूप से अति संवेदनशील जनजातीय समूहों यानी Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs) में शामिल हैं।
“आज दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा भारत ने हासिल तो कर लिया है लेकिन अब भी एक तबका ऐसा है जो हाशिये पर है। 
इस तबके के अंतर्गत वे जनजातियाँ आती हैं जो सुदूरवर्ती इलाकों में जीवन यापन कर रही हैं और कई समस्याओं को झेल रही हैं।”

गोंड जनजाति

गोंड मध्य प्रदेश की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। 
मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया।
गोंडों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मध्य प्रदेश में निवास करती है। 
शेष आबादी का अधिकांश भाग 'संकलन', आन्ध्र प्रदेश एवं उड़ीसा में बसा हुआ है। 
गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के पठारी भाग, जिसमें छिंदवाड़ा, बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं।
 छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें बस्तर ज़िला सम्मिलित है, आते हैं। 
इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ छत्तीसगढ़ राज्य, गोदावरी एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में एवं बालाघाट, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़, रायसेन और खरगोन ज़िलों में भी हैं। 
उड़ीसा के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा आन्ध्र प्रदेश के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।

खासी जनजाति

पूर्वोत्तर भारत में मेघालय राज्य की 'खासी' और 'जैंतिया' पहाड़ियों के निवासी है।
खासियों की एक विशिष्ट संस्कृति है।
संपत्ति का उत्तराधिकार और जनजातिय शासन का उत्तराधिकार, दोनों मातृवंश के आधार पर होते हैं और माँ से सबसे छोटी बेटी को मिलते हैं, हालांकि शासन और संपत्ति का प्रबंधन इन महिलाओं द्वारा चुने गए पुरुषों के हाथ में होता है।
यह व्यवस्था कई खासियों के द्वारा ईसाई धर्म अपनाने के बाद, जनजातिय धर्म की पारंपरिक और नए धर्म की माँगों के बीच हुए संघर्ष और स्वयं अर्जित संपत्ति के संबंध में लोगों के द्वारा वसीयत के अधिकार के कारण परिवर्तित हो गई है।

नागा जनजाति

नागा भारत की प्रमुख जनजातियों में से एक है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य नागालैण्ड, जिसमें नंगा पर्वत श्रेणियाँ फैली हुई हैं, नागा जनजाति का मूल निवास स्थान है। 'नागा' शब्द की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों के विचार भिन्न-भिन्न हैं। कुछ की मान्यता है कि यह शब्द संस्कृत के 'नागा' शब्द से निकला है, जिसका अर्थ 'पहाड़' से होता है और इस पर रहने वाले लोग 'पहाड़ी' या 'नागा' कहलाते हैं। कच्छारी भाषा में 'नागा' से तात्पर्य 'एक युवा बहादुर लड़ाकू व्यक्ति' से लिया जाता है। टोल्मी के अनुसार 'नागा' का अर्थ 'नंगे' रहने वाले व्यक्तियों से है। डॉक्टर वैरियर इल्विन का कथन है कि 'नगा' शब्द की उत्पत्ति 'नॉक' या 'लोग' से हुई है। अत: उत्तरी-पूर्वी भारत में रहने वाले इन लोगों को 'नगा' कहते हैं। नंगे रहने से 'नगा' शब्द का सम्बन्ध नहीं माना जाता, क्योंकि यह जनजाति पूर्णत: नंगी नहीं रहती।

बंजारा

बंजारा मानवों का ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर भ्रमनशील रहता है। 
इनकी संख्या 1901 ई. की भारतीय जनगणना में 7,65,861 थी।
 इनका व्यवसाय रेलवे के चलने से कम हो गया है और अब ये मिश्रित जाति हो गये हैं। 
ये लोग अपना जन्म सम्बन्ध उत्तर भारत के ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय वर्ण से जोड़ते हैं। 
दक्षिण में आज भी ये अपने प्राचीन विश्वासों एवं रिवाजों पर चलते देखे जाते हैं, जो द्रविड़वर्ग से मिलते-जुलते हैं।
बंजारों का धर्म जादूगरी है और ये गुरु को मानते हैं। इनका पुरोहित भगत कहलाता है।

गुर्जर समाज

गुर्जर समाज, प्राचीन एवं राज्य करने वाले समाज में से एक है। गुर्जर अभिलेखो के अनुसार ये सूर्यवंश या रघुवंश से सम्बन्ध रखते हैं। 
प्राचीन महाकवि राजसेखर ने गुर्जरो को रघुकुल-तिलक तथा रघुग्रामिणी कहा है।
7वीं से 10वीं शताब्दी के गुर्जर शिलालेखो पर सूर्यदेव की कलाकृतिया भी इनके सूर्यवंशी होने की पुष्टि करती ।है
राजस्थान में आज भी गुर्जरो को सम्मान से मिहिर बोलते हैं, जिसका अर्थ सूर्य होता है
कुछ इतिहासकरो के अनुसार गुर्जर मध्य एशिया के कॉकेशस क्षेत्र (अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए आर्य योद्धा थे। 

थारू जाति

थारू जाति भारत और नेपाल की जनजातियों में से एक है। 
यह जाति भारत के उत्तरांचल और नेपाल के दक्षिण भाग में हिमालय के तराई क्षेत्र में प्रमुखत: पाई जाती है। 20वीं सदी के अंत तक नेपाल में थारू जाति के लोगों की संख्या लगभग 7 लाख, 20 हज़ार और भारत में लगभग 10 हज़ार थी। 
थारू जाति के लोग सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़े हैं और ये भारोपीय भाषा परिवार के 'भारतीय-ईरानी समूह' के अंतर्गत आने वाली भारतीय-आर्य उपसमूहों की भाषा बोलते हैं।

मीणा

मीणा मुख्यत: भारत के राजस्थान राज्य में निवास करने वाली एक जाति है। 
मीणा का शाब्दिक अर्थ ‘मछली’ है। मीणा ‘मीन’ धातु से बना है। सबसे अधिक मीणा जाति के लोग जयपुर (सर्वाधिक), सवाई माधोपुर, उदयपुर, आदि ज़िलों में निवास करते हैं।

मीणा पुराण – रचियता –आचार्य मुनि मगन सागर
लोक देवी – जीणमाता (रैवासा, सीकर)
नाता प्रथा – इस प्रथा में स्त्री अपने पति, बच्चों को छोड़कर दूसरे पुरष से विवाह कर लेती है।

गरासिया जनजाति

गरासिया भारत के राज्य राजस्थान की प्रमुख जनजाति है। 
गरासिया की कुल आदिवासी जनसंख्या में लगभग 2.5 प्रतिशत है। 
यह जनजाति मुख्य रूप से उदयपुर ज़िले के खेरवाड़ा, कोटड़ा, झाड़ोल, फलासिया, गोगुन्दा क्षेत्र एवं सिरोही ज़िले के पिण्डवाड़ा तथा आबू रोड़ तथा पाली ज़िले के बाली क्षेत्र में बसी हुई है। 
ये गोगुन्दा (देवला) को अपनी उत्पत्ति मानते हैं। गरासिया जनजाति के लोग स्वयं को चौहान राजपूतों का वंशज मानते हैं। 
लोक कथाओं के अनुसार गरासिया जनजाति के लोग यह मानते हैं कि ये पूर्व में अयोध्या के निवासी थे और भगवान रामचन्द्र के वंशज थे। 
ये लोग यह भी मानते हैं कि उनकी गौत्रें बप्पा रावल की सन्तानों से उत्पन्न हुई थीं। 
इनमें डामोर, चौहान, वादिया, राईदरा एवं हीरावत आदि गोत्र होते हैं। ये गोत्र भील तथा मीणा जाति में भी पाई जाती है।

सहरिया जनजाति

सहरिया जनजाति राजस्थान, मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी में पायी जाती है।
 'सहरिया' शब्द पारसी के 'सहर' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- 'जंगल'। इस जाति के लोग जंगल में निवास करते हैं। 
इन लोगों का परिवार पितृसत्तात्मक होता है। भारत सरकार ने सहरिया जनजाति को आदिम जनजाति माना है।
सहरिया जनजाति के लोग हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।

डफला जनजाति

डफला जाति के लोग बंगनी भी कहलाते हैं, पूर्वी भूटान और अरुणाचल प्रदेश (भूतपूर्व नॉर्थ-ईस्ट फ़्रंटियर एजेंसी, नेफ़ा) के जनजातीय लोग है।
ये लोग चीनी-तिब्बती परिवार की तिब्बती-बर्मी भाषा बोलते हैं।
डफला अपना भरण-पोषण झूम खेती, शिकार और मछली मारकर करते हैं।
ये 900 से 1,800 मीटर की ऊँचाई पर बल्लियों पर बने मकानों में रहते हैं।
वंश का निर्धारण पैतृक आधार पर किया जाता है, जो 60 या 70 लोगों का एक कुटुंब होता है।
यह कुटुंब एक लंबे घर में एक साथ रहता है, जिसमें विभाजित खंड नहीं होते, लेकिन प्रत्येक दंपति के परिवार के लिए एक अलग चूल्हा होता है।

भारत में जनजातियाँ - Bharat Me Janjatiya Questions 

Q1. अंगामी, आओ जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
 नागालैण्ड

Q2. मिकिर जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
असम 

Q3. अपतनी जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
अरुणाचल प्रदेश

Q4. मोपला जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
 केरल

Q5. बैगा, भुइयाँ, मुरिया जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
  मध्य प्रदेश

Q6. खस जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
उत्तराखण्ड

Q7. बक्करवाल जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
 जम्मू-कश्मीर

Q8. कोटा जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
  तमिलनाडु

Q9. बड़गा गद्दी जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
    हिमाचल प्रदेश

Q10. टोडा जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
नीलगिरी पहाड़ियाँ

Q11. इरुला जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
    तमिलनाडु

Q12. मुण्डा जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
    झारखण्ड, पश्चिम बंग

Q13. चेंचू जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
 आन्ध्र प्रदेश

Q14. लेप्चा जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
     सिक्किम

Q15. जारवा जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
     अण्डमान निकोबार द्वीप

Q16. गोण्ड जनजाति भारत के किस राज्य में पाई जाती है
    मध्य प्रदेश, झारखण्ड

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