Rajasthan Ke Pratik Chinh - राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

 इस पोस्ट में हम Rajasthan ke pratik chinh pdf, notes, chart, sarni, trick, rajasthan gyan, gk, map, subhash charan के बारे में बात करेंगे। 
Rajasthan ke pratik chinh in Hindi, raj gk, राजस्थान के प्रतीक चिन्ह पोस्ट Rajasthan GK की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है जो की  BSTCRAJ. POLICE, PATWARI. REET , SI, HIGH COURT, पटवारी राजस्थान पुलिस और rpsc में पूछा जाता है। 

Rajasthan Ke Pratik Chinh PDF - राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह
 राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

राज्य पशु चिंकारा (वन्य जीव श्रेणी)

Rajasthan Ke Pratik Chinh

 चिंकारे को राज्य पशु का दर्जा 22 मई, 1981 में मिला। 
• चिंकारे का वैज्ञानिक नाम गजेला-गजेला है।
• चिंकारा एण्टीलोप प्रजाति का जीव है। 
• चिंकारे को छोटा हरिण के उपनाम सभी जाना जाता है। 
• चिंकारों के लिए नाहरगढ़ अभयारण्य (जयपुर)प्रसिद्ध है।
• राज्य में सर्वाधिक चिंकारे जोधपुर में देखे जा सकते हैं।
• चिंकारा नाम से राज्य में एक तत् वाद्य यंत्र भी है।
• चिंकारा हल्के भूरे अखरोटी रंग का एक सुंदर जानवर है।
• चिंकारा के सींग आजीवन बने रहते है। 
• जबकि हरिण हर वर्ष अपने सींग गिरा देता है और उसके नये सींग उग आते है। 
• भोले मुंह और सुन्दर चक्राकार सींग वाले इस पशु के पेट के नीचे का भाग सफेद होता है। 
• चिकारा श्रीगंगानगर जिले का शुभंकर है।

राज्य पक्षी 'गोडावण 

Rajasthan Ke Pratik Chinh
Rajasthan Ke Pratik Chinh

• गोडावण को राज्य पक्षी का दर्जा 21 मई, 1981 में मिला। 
• गोडावण का वैज्ञानिक नाम क्रायोटिस नाइग्रीसेप्स है। । 
• गोडावण को अंग्रेजी में ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड बर्ड कहा जाता है। 
• गोडावण को स्थानीय भाषा में सोहन चिड़ी, शर्मिला पक्षी कहा जाता है।
• गोडावण के अन्य उपनाम- सारंग, हुकना, तुकदर, बड़ा तिलोर व गुधनमेर है। 
• गोडावण को हाडौती क्षेत्र में मालमोरड़ी कहा जाता है। 
• राजस्थान में गोडावण सर्वाधिक तीन क्षेत्रों में पाया जाता है- सोरसन (बारां), सोंकलिया (अजमेर), मरूद्यान
(जैसलमेर, बाड़मेर)। 
• गोडावण के प्रजनन हेतु जोधपुर जन्तुआलय प्रसिद्ध है।
• गोडावण का प्रजनन काल अक्टूबर, नवम्बर का महिना माना जाता है। 
• गोडावण मुख्यत: अफ्रीका का पक्षी है।  
• गोडावण की कुल ऊंचाई लगभग 4 फीट होती है। 
• गोडावण के ऊपरी भाग का रंग पीला तथा सिर के ऊपरी भाग का रंग नीला होता है।
• इसका प्रिय भोजन मूंगफली व तारामीरा है। 
• गोडावण राजस्थान के अलावा गुजरात में भी देखा जा सकता है। 
• गोडावण शुतुरमुर्ग की तरह दिखाई देता है। 
• 2011 में की IUCN की रेड डाटा लिस्ट में इसे Critically Endangered (संकटग्रस्त प्रजाति) प्रजाति माना गया है। 
• गोडावण के संरक्षण हेतु राज्य सरकार ने विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2013 को राष्टीय मरू उद्यान, जैसलमेर में प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रारंभ किया। 
* यह प्रोजेक्ट प्रारंभ करने वाला राजस्थान, भारत का प्रथम राज्य है। 
• 1980 में जयपुर में गोडावण पर पहला अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।

राज्य पुष्प रोहिड़ा

Rajasthan Ke Pratik Chinh

• रोहिड़े को राज्य पुष्प का दर्जा 1983 में दिया गया। 
• रोहिड़े का वैज्ञानिक नाम टिकोमेला अंडूलेटा है। 
• रोहिड़े को राजस्थान का सागवान तथा मरूशोभा कहा जाता है।
• रोहिड़ा पश्चिमी क्षेत्र में सर्वाधिक देखने को मिलता है।
• रोहिड़े के पुष्प मार्च, अप्रेल में खिलते है।
• रोहिड़े के पुष्प का रंग गहरा केसरिया हिरमीच पीला होता है। 
• जोधपुर में रोहिड़े के पुष्प को मारवाड़ टीक कहा जाता है। 
• रोहिड़े को जरविल नामक रेगीस्तानी चूहा नुकसान पहुँचा रहा है।

राज्य वृक्ष खेजड़ी 

Rajasthan Ke Pratik Chinh

• खेजड़ी को राज्य वृक्ष का दर्जा 31 अक्टूबर, 1983 में दिया गया।
• 5 जून 1988 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर खेजड़ी वृक्ष पर 60 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया।
• खेजड़ी का वानस्पतिक नाम प्रोसेपिस सिनरेरिया है।
• खेजड़ी को राजस्थान का कल्प वृक्ष, थार का कल्प वृक्ष, रेगिस्तान का गौरव आदि नामों से जाना जाता है।
• खेजड़ी को Wonder Tree व भारतीय मरूस्थल का सुनहरा वृक्ष भी कहा जाता है। 
• खेजड़ी के सर्वाधिक वृक्ष शेखावटी क्षेत्र में देखे जा सकते है।
•  खेजड़ी के सर्वाधिक वृक्ष नागौर जिले में देखे जाते है।
• खेजड़ी के वृक्ष की पूजा विजया दशमी/दशहरे (आश्वीन शुक्ल पक्ष-10 ) के अवसर पर की जाती है।
• खेजडी के वृक्ष के नीचे गोगाजी व झंझार बाबा के मन्दिर बने होते है।
• खेजड़ी को हरियाणवी व पंजाबी भाषा में जांटी के नाम से जाना जाता है।
• खेजड़ी को तमिल भाषा में पेयमेय के नाम से जाना जाता है।
• खेजड़ी को कनड़ भाषा में बन्ना-बन्नी के नाम से जाना जाता है।
•  खेजड़ी को सिंधी भाषा में छोकड़ा के नाम से जाना जाता है। 
• खेजड़ी को बंगाली भाषा में शाईगाछ के नाम से जाना जाता है। 
• खेजड़ी को विश्नोई सम्प्रदाय में शमी के नाम से जाना जाता है। 
• खेजड़ी को स्थानीय भाषा में सीमलो कहा जाता है।
• खेजड़ी की हरी फलियां सांगरी (फल गर्मी में लगते हैं)कहलाती है। 
• खेजड़ी का पुष्प मीझर कहलाता है।
• खेजड़ी की सूखी फलियां खोखा कहलाती है।
• खेजड़ी की पत्तियों से बना चारा लूम/लूंग कहलाता है। 
• पाण्डवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने अस्त्र-शस्त्र खेजड़ी के वृक्ष पर छिपाये थे।
• वैज्ञानिकों ने खेजड़ी के वृक्ष की आयु पांच हजार वर्ष बताई है। 
• राज्य में सर्वाधिक प्राचीन खेजड़ी के दो वृक्ष एक हजार वर्ष पुराने मांगलियावास गांव (अजमेर) में है।• मांगलियावास गांव में हरियाली अमावस्या (श्रावण) को वृक्ष मेला लगता है।
• खेजड़ी के वृक्ष को सेलेस्ट्रेना व ग्लाइकोट्रमा नामक कीड़े नुकसान पहुंचा रहे है। 
• माटो-बीकानेर के शासकों द्वारा प्रतीक चिन्ह के रूप में खेजड़ी के वृक्ष को अंकित करवाया। 
• 1899 या विक्रम संवत 1956 में पड़े छप्पनिया अकाल में खेजड़ी का वृक्ष लोगों के जीवन का सहारा बना।
• ऑपरेशन खेजड़ा नामक अभियान 1991 में चलाया गया। 
• वन्य जीवों की रक्षा के लिए राज्य में सर्वप्रथम बलिदान 1604 में जोधपुर के रामसड़ी गांव में करमा व गौरा के द्वारा दिया।
• वन्य जीवों की रक्षा के लिए राज्य में दूसरा बलिदान 1700 में नागौर के मेड़ता परगना के पोलावास गांव में दूंचो जी के द्वारा दिया गया। 
• खेजड़ी के लिए प्रथम बलिदान अमृता देवी बिश्नोई ने 1730 में 363 (69 महिलाएँ व 294 पुरूष) लोगों के साथ जोधपुर के खेजडली ग्राम या गुढा बिश्नोई गांव में भाद्रपद शुक्ल दशमी को दिया। 
• भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी को तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है।
• भाद्रपद शुक्ल दशमी को विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला खेजड़ली गांव में लगता है। 
• अमृता देवी के पति का नाम रामो जी बिश्नोई था। 
• बिश्रोई संप्रदाय के द्वारा दिया गया यह बलिदान साका या खड़ाना कहलाता है। 
• इस बलिदान के समय जोधपुर का राजा अभयसिंह था। 
• अभय सिंह के आदेश पर गिरधर दास के द्वारा 363 लोगों की हत्या की गई। 
• खेजड़ली दिवस प्रत्येक वर्ष 12 सितम्बर को मनाया जाता है। 
• प्रथम खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर 1978 को मनाया गया। 
• वन्य जीवों के संरक्षण के लिए दिये जाने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार अमृता देवी वन्य जीव पुरस्कार है। 
* अमृता देवी वन्य जीव पुरस्कार की शुरूआत 1994 में की गई। 
* यह प्रथम पुरस्कार गंगाराम बिश्रोई (जोधपुर) को दिया गया। 
• खेजड़ली आन्दोलन चिपको आन्दोलन का प्रेरणा स्त्रोत रहा है। 
• चिपको आन्दोलन उत्तराखण्ड में सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में हुआ। 
• तेलंगाना का राज्य वृक्ष खेजड़ी (जरमेटी) है।

राज्य खेल - बास्केटबाल 

Rajasthan Ke Pratik Chinh

• बास्केट बाल को राज्य खेल का दर्जा 1948 में दिया गया।
• बास्केट बाल में कुल खिलाड़ियों की संख्या 5 होती है।
• बास्केट बाल अकादमी जैसलमेर में प्रस्तावित है।

 राज्य नृत्य घूमर 

• घूमर को राज्य की आत्मा के उपनाम से जाना जाता है।
• घूमर नृत्य की उत्पति मूलत: मध्य एशिया भरंग नृत्य/मृग 4 नृत्य से हुई है।
• घूमर नृत्य मांगलिक अवसरों, तीज, त्यौहारों पर आयोजित होता है।
• स्त्रियाँ एक गोल घेरे में चक्कर लगाते हुए यह नृत्य करती है।
• श्रृंगार रस से सम्बंधित यह नृत्य गुजरात के गरबा नृत्य से सम्बंधित है।
• इस नृत्य को राजस्थान लोक नृत्यों का सिरमौर, राजस्थान के नृत्यों की आत्मा,महिलाओं का सर्वाधिक लोकप्रिय नृत्य, रजवाड़ी/सामंतशाही लोक नृत्य कहा जाता है।
घूम (घुम्म)- घूमर नृत्य के दौरान लहंगे के घेर को घूम कहते है।
सवाई- घूमर के साथ लगाया जानेवाला अष्टताल कहरवा सवाई कहलाता है।
मछली नृत्य- यह नृत्य घूमर नृत्य का एक भाग।
घूमर के तीन रूप है
* झुमरिया- बालिकाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य।
* लूर- गरासिया जनजाति की स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला नृत्य। 
* घूमर- इसमें सभी स्त्रियां भाग लेती है।

राज्य गीत 'केसरिया बालम' 

• इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गाया गया।
• इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय बीकानेर की अल्लाजिल्ला बाई को है।
• अल्लाजिल्ला बाई को राजस्थान की मरू कोकिला कहा जाता है।
• यह गीत माण्ड गायिकी शैली में गाया जाता है।

राज्य का शास्त्रीय कत्थक' 

• कत्थक उत्तरी भारत का प्रमुख नृत्य है।
• दक्षिण भारत का प्रमुख नृत्य भरतनाट्यम है।
• कत्थक का भारत में प्रमुख घराना लखनऊ है।
• कत्थक का राजस्थान में प्रमुख घराना जयपुर है।
• कत्थक के जन्मदाता भानू जी महाराज को माना जाता है।

राज्य पशु ऊँट' (पशुधन श्रेणी) 

Rajasthan Ke Pratik Chinh

• ऊँट को राज्य पशु का दर्जा 19 सितम्बर 2014 में दिया गया।
• ऊँट वध रोक अधिनियम दिसम्बर 2014 में बनाया गया।
• ऊँट का वैज्ञानिक नाम केमलीन है।
• ऊँट को अंग्रेजी में केमल के नाम से जाना जाता है।
• ऊँट को स्थानीय भाषा में रेगिस्तान का जहाज या मरूस्थल का जहाज ( कर्नल जेम्स टॉड) के नाम से जाना जाता है।
• ऊँटों की संख्या की दृष्टि से राजस्थान का भारत में एकाधिकार है।
• राजस्थान में भारत के 70 प्रतिशत (2007)/81.37 प्रतिशत (2012) ऊँट पाये जाते है।
• राजस्थान की कुल पशुसम्पदा ऊँट सम्पदा का प्रतिशत 0.56 प्रतिशत है।
• राज्य में सर्वाधिक ऊँटों वाला जिला जैसलमेर है।
• राज्य में सबसे कम ऊँटों वाला जिला प्रतापगढ़ है।
• ऊँट अनुसंधान केन्द्र जोहड़बीड (बीकानेर) में स्थित है।
• कैमल मिल्क डेयरी बीकानेर में स्थित है।
• सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में अक्टूबर 2000 में ऊँटनी के दध को मानव जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया।
• ऊँटनी के दूध में कैल्सियम मुक्त अवस्था में पाया जाता ' है।
• इसलिए इसके दूध का दही नही जमता है।
• ऊँटनी का दूध मधुमेह (डायबिटिज) की रामबाण औषधि के साथ-साथ यकृत व प्लीहा रोग में भी उपयोगी है।
• नाचना जैसलमेर का ऊँट सुंदरता की दृष्टि से प्रसिद्ध है।
• भारतीय सेना के नौजवान थार मरूस्थल में नाचना ऊँट का उपयोग करते है।
• गोमठ- फलौदी-जोधपुर का ऊँट सवारी की दृष्टि से प्रसिद्ध है।
• बीकानेरी ऊँट बोझा ढोने की दृष्टि से प्रसिद्ध है।
• बीकानेरी ऊँट सबसे भारी नस्ल का ऊँट है।
• राज्य में लगभग ___50% इसी नस्ल के पाले जाते है।
• ऊँटों के देवता के रूप में पाबूजी को पूजा जाता है।
• राजस्थान में ऊँटों को लाने का श्रेय पाबजी को है।
• ऊँटों के बीमार होने पर रात्रिकाल में पाबूजी की फड़ का वाचन किया जाता है।
• ऊँटों के गले का आभूषण गोरबंद कहलाता है।
• ऊँटों में पाया जाने वाला रोग सर्रा रोग, तिवर्षा है।
• ऊँटों में सर्रा रोग नियंत्रण योजना- प्रदेश में ऊँटों को संख्या में गिरावट का मुख्य कारण सर्रा रोग हैं।
• इस रोग पर नियंत्रण के उद्देश्य से वर्ष 2010-11 में यह योजना प्रारम्भ की गई।
राजधानी जयपुर 
• जयपुर की स्थापना सवाई जयसिंह द्वितीय के द्वारा 18 नवम्बर 1727 में की गई।
• जयपुर की नींव पण्डित जगन्नाथ के ज्योतिषशास्त्र के आधार पर रखी गई।
• जयपुर का वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य को माना जाता है।
• जयपुर नगर के निर्माण के बारे में बुद्धि विलास नामक ग्रंथ से जानकारी मिलती है।
* यह ग्रथ चाकसू के निवासी बख्तराम के द्वारा लिखा गया।
• जयपुर का निर्माण जर्मनी के शहर द एल्ट स्टड एलंग के आधार पर करवाया गया है।
• जयपुर का निर्माण चौपड़ पैटर्न के आधार पर किया गया।
• जयपूर को प्राचीनकाल में जयगढ़, रामगढ़, ढूढाड़ व मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था।
• जयपुर को राजधानी 30 मार्च 1949 को बनाया गया।
• जयपुर को राज्य की राजधानी एकीकरण के चौथे चरण (वृहत् राजस्थान) में बनाया गया।
• जयपुर को राजधानी श्री पी. सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर बनाया गया।
• सी. वी. रमनन जयपुर का आइसलैण्ड ऑफ गैलोरी (रंग श्री के द्वीप) कहा है।
• जयपुर को गुलाबी रंग से रंगवाने का श्रेय रामसिंह द्वितीय को है।
• प्रिंस अल्बर्ट (1876) के आगमन पर जयपुर को रामसिंह द्वितीय के द्वारा गुलाबी रंग से रंगवाया गया।
• 1137 में ढूंढाड़ में दूल्हाराय ने कच्छवाहावंश की स्थापना की। तथा दौसा को राजधानी बनाया।

राज्यसभा 

• राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटें है।

लोक सभा 

• राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीटें है।
• लद्दाख के बाद देश का दूसरा बड़ा लोकसभा क्षेत्र क्षेत्रफल में बाड़मेर है।
•  राजस्थान में केवल जयपुर से 2 लोकसभा सदस्य निर्वाचित होते है।
• प्रथम आम चुनाव 1952 के समय राजस्थान में कुल 22 लोकसभा सीटें थी।
• प्रथम महिला लोकसभा सदस्य महारानी गायत्री देवी (स्वतंत्र पार्टी) थी।
• गायत्री देवी जयपुर से तीसरी लोकसभा से चुनी गई थी।
• प्रथम अनुसूचित जनजाति की लोकसभा सदस्य श्रीमती उषा देवी मीणा (सवाई मोधापुर) थी।
• प्रथम अनुसूचित जाति की महिला लोकसभा सदस्य सुशीला बंगारू (जालौर) थी।
• राजस्थान में सर्वाधिक बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने वाली महिला वसुंधरा राजे सिंधिया है।
• वंसुधरा राजे सिंधिया पांच बार (नौवीं से तैरहवीं लोकसभा) लोकसभा सदस्य चुनी गई।
• राजस्थान में सर्वप्रथम लोकसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाएं शारदा देवी व रानीदेवी भार्गव है।

विधानसभा

राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें है।
राजस्थान में 160 सदस्य विधानसभा का गठन 29 फरवरी 1952 को किया गया।
विधानसभा की प्रथम बैठक 29 मार्च 1952 को जयपुर के सवाई मानसिंह टाउन हाउस में हुई।
इसी टाउन हाउस को बाद में विधानसभा का रूप दिया गया।
अजमेर मेरवाड़ा की अलग से विधानसभा थी।
इसमें सदस्यों की संख्या 30 थी।
अजमेर मेरवाड़ा की विधानसभा को धारासभा के नाम से जाना जाता था।
अजमेर मेरवाड़ा का एकीकरण के समय प्रथम व एकमात्र मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय था।
1 नवम्बर 1956 को अजमेर मेरवाड़ा को राजस्थान में मिला दिया गया और उसे 26वें जिले का दर्जा दिया गया।
इससे विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 190 हो गई।
977 में हुए परिसीमन में विधानसभा सदस्यों की संख्या 190 से बढ़कर 200 हो गई।
प्रथम विधानसभा के चुनाव के समय सदस्यों की कुल संख्या 160 थी।
दूसरी विधानसभा चुनाव के समय सदस्यों की संख्या 190 थी।
6वीं विधानसभा चुनाव के समय सदस्यों की संख्या 200 थी।
प्रत्येक राज्य में विधानसभा के न्यूनतम 60 सदस्य व अधिकतम 500 सदस्य हो सकते है।


नगर परिषद 

सबसे पुराना नगर परिषद अजमेर है। 
अजमेर को वर्तमान में नगर निगम बना दिया गया है। 
अगर परिषद में उन्ही जिलों को शामिल किया जाता है जिनकी जनसंसख्या 1 से 5 लाख के मध्य हो। 

नगर पालिका 

• राजस्थान की सबसे प्राचीन नगरपालिका माउंट आबू [सिरोही] है।
• माउंट आबू की स्थापना 1864 ई. में हुई थी। 
• नगरपालिका में उन जिलों को शामिल किया जाता है जिनकी जनसंख्या 1 लाख तक होती है। 

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह से सबंधित प्रश्न 

अमतादेवी मृग वन स्थित है- खेजड़ली गाँव। (ग्रेड ततीय-2009) 
राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी 'थार का कल्पवृक्ष' कहलाता है। यह राज्य में वन क्षेत्र के कितने भाग में पाया जाता है ? - 2/3 (राज पुलिस-2013)
खेजड़ली नामक जगह प्रसिद्ध है- अमृतादेवी बलिदान के लिए  (वनरक्षक-2013) 
राजस्थान का राज्य पशु कौनसा है- चिंकारा (वैज्ञानिक नाम गजेला-गजेला) (वनरक्षक- 2013, राज पुलिस-2007) 
राज्य में ऊँट प्रजनन का कार्य किसके द्वारा संचालित किया जा रहा है- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (पटवार-2011) 
कौनसे पशु के लिए राजस्थान राज्य, भारत में एकाधिकार रखता है- ऊँट (पटवार-2011)
पेड़ों को काटने से बचाने के लिए 363 लोगों द्वारा अपने प्राण न्यौछावर करने वाला शहीदी स्थल स्थित है-खेजड़ली (वनरक्षक-2013) 
किस वृक्ष का वानस्पतिक नाम प्रोसेपिस सिनरेरिया है-  खेजड़ी (पटवार-2011)
राजस्थान का राज्य पक्षी, राज्य वृक्ष व राज्य पशु कौनसे है - गोडावण (राज्य पक्षी), खेजड़ी (राज्य वृक्ष), चिंकारा (राज्य पशु)। राज. पुलिस-2014 | 
थार का कल्पवृक्ष कहा जाने वाला वृक्ष है- खेजड़ी  (ग्रेड तृतीय-2013, राज पुलिस-2013)
खेजड़ी वृक्ष की पूजा किस पर्व पर की जाती है- दशहरा (ग्रेड तृतीय-2013)
राज्य में कौनसा पक्षी विलुप्ति की कगार पर है - गोडावण (वनरक्षक-2010) 
अमृतादेवी स्मृति पुरस्कार जिसके लिए दिया जाता है- वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए।(आरएएस-प्री-2000)
पंचकूटे में डाले जाने वाली सांगरी एवं कूमठ क्रमशः है-खेजड़ी का फल, कूमठ के फूल। (वनरक्षक-2013) राजस्थान का राज्य वृक्ष है- खेजड़ी। (वनरक्षक-2013, ग्रेड तृतीय-2013)
किस शासक के काल में जयपुर को गुलाबी रंग से रंगा गया था- रामसिंह द्वितीय (1868 में) (तृतीय श्रेणी-2013) 
जयपुर शहर का नक्शा किस वास्तुविद् की देखरेख में तैयार किया गया- पंडित विद्याधर  (पटवार-2011)



tags: Rajasthan ke pratik chinh pdf, chart, sarni, trick, rajasthan gyan, gk, map
 
Download PDF
Start The Quiz
__________________

Note:- sscwill.in वेबसाइट में उपयोग किए गए मैप वास्तविक मैप से अलग हो सकते हैं। मैप्स को विद्यार्थियों की सुविधा के लिए सरल बनाया गया है।
स्टीक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट का उपयोग करें.....🙏🙏🙏

Post a Comment

4 Comments

Please do not enter any spam link in the comment box